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ब्रह्माकुमारी संस्थान में हुआ होली मिलन

रांची। होली जलाने का अर्थ पिछले वर्ष की कटु और तीखी स्मृतियों को जलाना और हंसते-खेलते नये वर्ष का आवाह्न करना है। सृष्टिकर्ता परमात्मा अत्याचार रूपी हिरण्यकश्यप तथा दुःख, अशांति और भय रूपी होलिका के चंगुल से प्रहृलाद आर्थात प्रभु संतान समस्त आत्माओं को मुक्त करते हैं। एक्त बातें राजधानी के हरमू रोड के चौधरी बगान स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान में रांची विवि के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो जंगबहादुर पांडेय वे होली मिलन समारोह में बोल रहे थे।
समाजसेवी सुशीला सरावगी ने कहा कि जैसे भुना हुआ बीज नए फल की उत्पति नहीं कर सकता, वैसे ही ज्ञान योग युक्त अवस्था में किया गया कर्म विकर्म का रूप नहीं ले सकता। होली जलाने के बाद लोग गीत गाते, बजाते, झूमते, नाचते हैं, परंतु स्थूल नाच और गान तभी चरितार्थ होगा, जब मन बुराईयों और चिंता से मुक्त और आनंदित होगा।
केेद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा इस संसार में दो ही रंग है। एक माया और दूसरा ईश्वर का। इस रंगमंच पर हर मनुष्य इन दोनो में से एक न एक रंग में तो रंगता ही है। ईश्वरीय रंग में रंगना ही श्रेष्ठ होली मनाना है। इस रंग में रंगा हुआ मनुष्य ही योगी है। माया के रंग में रंगा हुआ मनुष्य ही भोगी है। अब आत्मा की चोली को ज्ञान से रंग कर परमात्मा से मंगल मिलन मनाना चाहिए।
मौके पर रंगों के साथ श्रीकृष्ण राधा रास रचा कर होली मनाई गई। गरबा नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में गाइडेल मेडिटेशन का अभ्यास कराया गया। इसके अलावा अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। गुलाल से तिलक लगा कर फूलों से गुलाब जल छिड़क कर होली मनाई। ब्रह्मा भोग का भी आयोजन किया गया।

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