यूजीसी के आदेश से नियुक्ति, आरक्षण पर लगेगा ग्रहण
- विवि-कॉलेजों को बनाना होगा होगा नया रोस्टर
- विभाग और विषयवार होगा नया रोस्टरअभी कॉलेज को इकाई मानकर बनता था रोस्टर
- नए आदेश से दलित-पिछड़े वर्ग के शिक्षकों में रोष, करेंगे विरोध
- यूजीसी ने विवि को जारी किए निर्देश
दरअसल इस पूरे विषय की पृष्ठभूमि में इलाहाबाद हाईकोर्ट का पिछले साल वह आदेश है, जिसमें अदालत ने यह माना कि यदि संस्थान को इकाई मानकर आरक्षण देने से एक ही विषय में आरक्षित श्रेणी के लोग आ जाएंगे, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। लिहाजा यूजीसी ने इस मामले को लेकर एक स्थाई समिति बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट को आधार बनाकर आयोग ने सभी विविद्यालयों को यह आदेश जारी किया है।
डीयू के पूर्व विद्वत परिषद सदस्य प्रो प्रदीप कुमार ने बताया कि इस समय केंद्रीय विविद्यालयों में करीब छह हजार शिक्षकों के रिक्त पद हैं। इसमें से भी अधिकांश संख्या सहायक प्रोफेसर के पदों की है। आयोग के इस आदेश के बाद डीयू व अन्य विविद्यालयों में एससी, एसटी व ओबीसी के पदों में अभूतपूर्व गिरावट आएगी। इनमें संख्या नए रोस्टर के चलते कम हो जाएगी। साथ ही निर्धारित 15 (एससी), 7.5 (एसटी) व 25(ओबीसी) फीसद का आरक्षण हासिल करना लंबे समय तक असंभव हो जाएगा। इसको लेकर डीयू के दलित-पिछड़े वर्ग के शिक्षकों ने आगामी आठ मार्च को डीयू में एक बैठक आयोजित की है जिसमें सरकार के इस आरक्षण विरोधी कदम के विरुद्ध रणनीति बनाई जा सके।
कैसे नहीं मिलेगा आरक्षण : दरअसल अभी कॉलेजों के सभी पदों के कुल आरक्षण के हिसाब से रोस्टर बनता था। प्रो प्रदीप कुमार ने बताया कि एक उदाहरण के तौर पर अभी तक एक कॉलेज में यदि 100 पद हैं तो इतने पदों पर आरक्षण आसानी से मिल जाता था। जबकि अब छोटे विभागों में कम पद होते हैं। इनमें एक से लेकर तीन पद हैं, वहां ओबीसी, एससी-एसटी व ओबीसी को अपना प्रतिनिधित्व पाने में कई साल लग जाएंगे। कारण यह है कि ओबीसी का आरक्षण चौथे स्थान, एससी सातवें स्थान और एसटी का चौदहवें स्थान पर आता है।

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