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घर पहुंचकर छलकीं मलाला की आंखे

पेशावर। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मलाला युसूफजई आज पाकिस्तान के स्वात घाटी में अपने पैतृक नगर पहुंचकर रो पड़ीं। लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने वाली मलाला को साल 2012 में तालिबान के आतंकवादियों ने सिर में गोली मार दी थी। वह इस घटना के बाद पहली बार पाकिस्तान आई हैं।

सूत्रों ने बताया कि कड़ी सुरक्षा के बीच20 वर्षीय मलाला अपने माता- पिता के साथ स्वात जिले में आज एक दिन के दौरे पर पहुंची हैं। पाकिस्तान की सूचना राज्य मंत्री मरियम औरंगजेब यात्रा के दौरान मलाला के साथ थीं। अपने पैतृक नगर में मलाला अपने बचपन के दोस्तों और शिक्षकों से पांच साल बाद मिलीं। सूत्रों ने बताया,  अपने लोगों से मिलकर मलाला की आंखों से आंसू छलक पड़े।

पाकिस्तान जल्द लौटूगी ये मेरा देश
जियो न्यूज को कल दिए एक साक्षात्कार में मलाला ने बताया था कि जैसे ही वह अपनी पढ़ाई पूरी कर लेंगी, वह स्थायी तौर पर पाकिस्तान वापस लौट आएंगी। मलाला ने कहा,  मेरी योजना पाकिस्तान लौटने की है क्योंकि यह मेरा देश है। जैसे किसी अन्य पाकिस्तानी नागरिक का अधिकार पाकिस्तान पर है, वैसे ही मेरा भी है। उन्होंने पाकिस्तान आने पर खुशी जाहिर की और लड़कियों को शिक्षा मुहैया कराने के अपने मिशन पर जोर दिया।

तालिबान दे चुका दुबारा मारने की धमकी
मलाला पर हमला करने के बाद तालिबान ने यह कहते हुए एक बयान जारी किया कि अगर मलाला जीवित बचती है तो वह उस पर दोबारा हमले करेंगे।  मलाला को लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने के लिए साल 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के साथ यह पुरस्कार दिया गया था। अब मलाला 20 साल की हो चुकी हैं। मात्र 17 साल की उम्र में वह नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की कार्यकर्ता हैं।

उस जगह फिर जाना चाहती हैं मलाला, जहां चली थी उसपर गोलियां
पाकिस्तान के स्वात घाटी की रहने वाली पाकिस्तानी एक्टिविस्ट अदनान तबस्सुम ने कहा कि वे मलाला से गुरुवार को मिली थीं, और मलाला ने उनसे कहा था कि वे स्वात घाटी जाकर अपने पुराने स्कूली दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलना चाहती हैं। तबस्सुम ने कहा कि 20 वर्षीय मलाला ने अपने अधिकारियों से पूछा कि स्वात में उनके शांगला गांव में जाने की इजाजत दी जाए, जहां एक स्कूल मलाला के फंड से बनकर तैयार हुआ है।   

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