जो सर्वव्यापक है वही राम है: स्वामी सत्यांनद परमहंस
रांची। बसारगढ़ टीपूदाना स्थित ब्रम्ह विद्यालय और आश्रम में स्वामी सत्सानंद जी परमहंस ने विभिन्न स्थानों से आये भक्तों के बीच सतसंग के क्रम में भक्ति के विषयों की विवेचना की। शनिवार को अपने प्रवास के सातवें दिन स्वामी जी ने कहा कि जो सर्वव्यापक है वही राम है। उन्होंने राम नाम के महत्व को रेखाकिंत करते हुए कहा कि पूरे संसार में राम नाम के सहारे भव पार करते हैं। इसी नाम को कबीर,मीरा, स्वामी परमहंस दयाल, रामकृष्ण सहित सभी तत्वज्ञानियों से अपने अंदर स्थापित किया। आज जो सर्वव्यापक राम है वह अयोध्या के दशरथनंदन राम नहीं हैं। राम का नाम ही आधार है। इस सकरात्मक चिंतन से ही जो उर्जा पैदा होती है उससे प्रकृति पूरे ब्रंमाण्ड का संचालन करती है। जो राम तत्व से भरा है वहीं राम है। सर्वव्यापकता के लिए दिल में सभी के लिए बड़ा भाव होना चाहिए। किसी भी सदगुरु के शरण में जाकर जो योग बनता है वह अदंर से परिवर्तन करता है। वह समय बीतने के साथ व्यवहार में दिखायी पढ़ने लगता है। आप हजारो व्यक्ति से अच्छा व्यवहार करते हुए उनका सहयोग करते हुए जी सकते हैं।
अमेरिका में हुए एक शोध के बारे में जानकारी देते हुए स्वामी जी ने बताया कि उस शोध में भारतीय संस्कृति के संयुक्त परिवार की भावना को बहुत महत्वपूर्ण और देश समाज के लिए लाभकारी माना गया। आजभी भारत में राम तत्व का प्रभाव एक-एक व्यक्ति पर है। हमारे देश में संयुक्त परिवार की परम्परा भी इसी की देन है। संयुक्त परिवार के कारण देश और समाज को सर्वाधिक लाभ मिला यह शोध से पता चला है। समाज मजबूत और सहयोगी रहा। आज संयुक्त परिवार की परम्परा टूट रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हम राम तत्व से अलग हो रहे हैं। हम सर्वव्यापकता तो भूल रहें हैं।
उन्होंने कहा कि आज से पांच दशक पूर्व लोग अपने पुत्र को गोद में नहीं उठाते थे, पत्नियां पति को खाना नहीं दें ऐसा रिवाज था। इसके मूल में संयुक्त परिवार की सोच थी। अधिक लोगों के बीच रहकर जो भाव पैदा होता है वह सहयोग, दया, करूणा, आत्मीयता, एकल परिवार में जीवन बिताये लोगों की विशेषकर युवाओं की नहीं होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस सर्वव्यापकता की पहचान गुरु कराते हैं।
स्वामी विवेकानंद की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब शिकागों में उनके ज्ञान की डंका बज रही थी तब उन्होंने कहा कि जो ज्ञान हमारे पास है वह हमारे गुरु देव रामकृष्ण परमहंस जी की कृपा है और जो कुछ बुरा शेष है वह नरेन्द्र है। रामकृष्ण ने जो राम तत्व विवेकानंद को दिया उससे उन्होंने पूरे विश्व की व्यापकता में स्थापित करने का काम किया। आज विवेकानंद के कार्यो और प्रयास के कारण रामकृष्ण परमहंस को भी पूरा विश्व जानता है। स्वामी परमहंस दयाल जी ने जो धारण किया वह आज पूरे विश्व में व्यापकता से राम तत्व को जीव में स्थापित करने का काम कर रहा है। सतसंग में गढ़वा, पाकुड़, जमशेदपुर, कोलकात्ता, बोकारो सहित कई स्थानों से श्रद्धालु आये हुए है। कार्यक्रम 15 अपै्रल तक चलेगा।
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