भक्ति ज्ञान दृष्टि देता है: स्वामी सत्यानंद परमहंस
रांची। भक्ति ज्ञान दृष्टि देता है। अहंकार ज्ञान को ढंक देता है। भगवान राम से वशिष्ट ने हाथ जोड़कर वरदान मांगा कि प्रेम कभी घटे नहीं ऐसा वरदान दें। बसारगढ़ स्थित ब्रम्ह विद्यालय एवं आश्रम में अपने 15 दिवसीय प्रवास के 10वें दिन मंगलवार को स्वामी सत्यानंदजी परमहंस ने बताया कि राम जब वन में गये तो वहां कई ऋषियों-मुनियों ने उनका संवाद हुआ। राम की भक्ति और ज्ञान की स्थिति से ऋषियों-मुनियों को लगा कि उनका जप-तप इस दशरथ नंदन राम के आगे नहीं टिकता है। राम अहंकार रहित थे। मनुष्य भक्ति के माध्यम से ज्यादा पा सकता है। तुलसीदास ने सदैव भक्ति की महिमा का बखान किया है। जो भी जप-तप से प्राप्त बल है उससे अधिक टिकाउ भक्ति के माध्यम से प्राप्त ज्ञान दृष्टि है। जो परम आत्मा है वही परमात्मा है। मजनू से जब कहा गया कि वह खुदा की इबादत करें तो उसने कहा कि खुदा अगर लैला के रूप में आ जाये तो उसकी इबादत कर सकता है। प्रेम बड़ा है या ईश्वर? निश्चित प्रेम बड़ा है। प्रेम ही परम बना देता है, परमात्मा बना देता है। नारद, विश्वमित्र, उद्धव, परशुराम ने जो सिद्धि प्राप्त की वह जप-तप से प्राप्त की गयी थी। इसलिए इसमें भटकाव भी था और क्रोध शेष भी। लेकिन जो कृष्ण ने प्रेम के माध्यम से प्राप्त किया वह आज भी राधा-श्याम के रुप में उपस्थित है। राधा-राधा बोलो चले आयेंगे बिहारी। यह पंक्ति भक्ति मार्ग की उंचाई को बताता है।
काल, कर्म,स्वभाव और गुण का घेरा लेकर जीव संसार में घूमता है। काल समय है, कर्म क्या करेगा यह कुदरत से तय होता है। स्वभाव सभी का अलग-अलग होता है। गुण से भी प्रभावित होता है। गिद्धराज का खान-पान से लेकर गुण स्वभाव, कर्म सब कुछ अलग था लेकिन प्रेम राम में था। अंतर सिर्फ ज्ञान और अज्ञान का है। खुदा ने जीने का मौका दिया। दूसरे को मत देखों। शाकिर बनेगा कि काफिर यह आपके उपर निर्भर करता है।
उपनिषद में वर्णित है प्रेम ही ईश्वर है। महात्मा बुद्ध की चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि जब कनिष्क का शासन था जब भारत की राजधानी पेशावर थी। बुद्ध करुणा और दया के प्रतिक थे। बौद्ध राज्य धर्म था और इसका असर सूफियों पर भी पड़ा। आज बुद्ध की मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है जो गलत है। सीरिया, अफगानिस्तान और ईरान के आस-पास इनका प्रचार-प्रसार था। आज यह पूरा क्षेत्र हिंसा के प्रभाव में है। आश्रम में स्वामी जी के सतसंग में शामिल होने जमशेदपुर, बोकारो, पाकुड़, गया, बक्सर सहित कई स्थानों से भक्त आये हुए हैं। इस अवसर पर अजय कुमार ने परमहंस दयाल भक्ति गीत और भजन का कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
काल, कर्म,स्वभाव और गुण का घेरा लेकर जीव संसार में घूमता है। काल समय है, कर्म क्या करेगा यह कुदरत से तय होता है। स्वभाव सभी का अलग-अलग होता है। गुण से भी प्रभावित होता है। गिद्धराज का खान-पान से लेकर गुण स्वभाव, कर्म सब कुछ अलग था लेकिन प्रेम राम में था। अंतर सिर्फ ज्ञान और अज्ञान का है। खुदा ने जीने का मौका दिया। दूसरे को मत देखों। शाकिर बनेगा कि काफिर यह आपके उपर निर्भर करता है।
उपनिषद में वर्णित है प्रेम ही ईश्वर है। महात्मा बुद्ध की चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि जब कनिष्क का शासन था जब भारत की राजधानी पेशावर थी। बुद्ध करुणा और दया के प्रतिक थे। बौद्ध राज्य धर्म था और इसका असर सूफियों पर भी पड़ा। आज बुद्ध की मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है जो गलत है। सीरिया, अफगानिस्तान और ईरान के आस-पास इनका प्रचार-प्रसार था। आज यह पूरा क्षेत्र हिंसा के प्रभाव में है। आश्रम में स्वामी जी के सतसंग में शामिल होने जमशेदपुर, बोकारो, पाकुड़, गया, बक्सर सहित कई स्थानों से भक्त आये हुए हैं। इस अवसर पर अजय कुमार ने परमहंस दयाल भक्ति गीत और भजन का कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
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