शिक्षा विभाग में कम किए जाएंगे डीडीओ
रांची। शिक्षा विभाग के सभी कार्यालय और
विद्यालयों में निकासी और व्ययन पदाधिकारी (डीडीओ)
कम किए जाएंगे। नई व्यवस्था लागू
करने का सुझाव देने के लिए विभाग ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। उसे 15 दिनों में
रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। इस बाबत शिक्षा सचिव एपी सिंह ने 21 मई को
आदेश जारी किया है।
शिक्षा सचिव ने जारी आदेश में लिखा है कि वित्त
विभाग ने सरकारी विभाग और अधीनस्थ कार्यालयों में निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की
संख्या घटाने को कहा है। इसके आधार पर शिक्षा विभाग में भी इनकी संख्या घटाई गई
है। इसके बाद भी संख्या अधिक है। इससे लेखा मिलान और विपत्रों के गुणात्मक
समीक्षा में कठिनाई होती है। समय और संसाधन की बर्बादी होती है।
विभाग की 21 मई को हुई समीक्षा के क्रम में यह
बात सामने आई कि बोकारो जिले में माध्यमिक विद्यालयों के लिए मात्र एक निकासी एवं
व्ययन पदाधिकारी है। इस तरह की व्यवस्था वर्तमान वित्तीय वर्ष में सभी जिलों में
लागू करने की जरूरत है। इसके तहत माध्यमिक और प्राथमिक विद्यालयों के लिए जिला स्तर
पर एक-एक निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी हो। अगले वित्तीय वर्ष में पूरे राज्य के प्राथमिक
एवं माध्यमिक निदेशालय के अंतर्गत आने वाले विद्यालय और कार्यालयों के लिए निदेशालय
स्तर पर एक-एक निकासी और व्ययन पदाधिकारी की व्यवस्था किए जाने पर विचार हो रहा
हे।
ये कमेटी, इसपर करेगी विचार
उक्त व्यवस्था को लागू करने पर विचार करने और
सुझाव देने के लिए बनी कमेटी के अध्यक्ष बोकारो के जिला शिक्षा पदाधिकारी हैं। सदस्यों
में बीसीजी ग्रुप के स्वायकत राय और देवांश सामंत हैं। ये कमेटी प्राथमिक एवं माध्यमिक
विद्यालयों के लिए एक-एक निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की व्यवस्था पर सुझाव देने
के लिए बोकारो में माध्यमिक विद्यालयों वेतन आदि भुगतान की व्यवस्था और सिस्टम
की जानकारी लेगी। आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर और उसकी सिक्यूटी एवं सेफ्टी का अध्ययन
करेगी। एनआईसी का सहयोग लेगी।
राज्य स्तर पर प्राथमिक और माध्यमिक निदेशालय के नियंत्रण
वाले विद्यालय और कार्यालयों के वेतन आदि के भुगतान के लिए एक-एक निकास और व्ययन पदाधिकारी
की व्यवस्था करने के बिंदु पर पटना जाकर व्यवस्था का अध्ययन करेगी। उसके बाद रिपोर्ट
देगी। समिति बिहार के शिक्षा विभाग में क्षेत्रीय कार्यालयों का पुर्गठन और जिला स्तर
पर जिला शिक्षा पदाधिकारी के नियंत्रण की नयी प्रशासनिक व्यवस्था के पुनर्गठन संबंधी
व्यवस्था का भी अध्ययन करेगी। उसके गुण-दोष की समीक्षा करते हुए झारखंड में इसे
लागू करने के संबंध में प्रतिवेदन देगी।
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