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भारत बंद के बाद पुलिस कार्रवाई से परेशान दलित पलायन को मजबूर

उत्तर प्रदेश। दलित समुदाय द्वारा 2 अप्रैल को बुलाए गए देशव्यापी भारत बंद के बाद अब दलितों ने पुलिस प्रशासन पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। जिसके चलते अब उत्तर प्रदेश के मेरठ में शोभापुर से लाखों की संख्या में दलितों ने पलायन करना शुरू कर दिया है।

लोगों के पलायन के बाद पूरे गांव में केवल बुजुर्ग और महिलाएं ही रह गई है। और वहीं जो लोग गांव में रह भी गए है उन्होंने पुलिस के अत्याचार से तंग आकर राज्य सरकार को धर्म परिवर्तन करने की धमकी दे डाली है। गांव के लोगों के धर्म परिवर्तन और पलायन की खबरों के बाद से ही प्रशासन में खलबली मची हूई है।
आपको बता दे कि दलित समुदाय द्वारा बुलाएं गए भारत बंद के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा अधिक विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था। बंद के दौरान मेरठ से ही सबसे अधिक तोड़फोड़ और आगजनी की खबरे आई थी।

प्रदर्शनकारियों ने रोड़ जामकर उसके बाद स्थानीय पुलिस चौकी को आग के हवालें कर दिया था। लेकिन इस मामले में मोड़ तब आया जब बंद को दो दिन बाद ही एक दलित नेता की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।दलित नेता की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर एक लिस्ट वायरल हुई जिसमें बंद में शामिल सैकड़ो दलितों के नाम मौजूद थे। और इसी लिस्ट में मारे गए दलित नेता का नाम सबसे ऊपर लिखा हुआ था।
शोभापुर गांव के दलित समुदाय के लोगों का आरोप है कि दलित नेता के हत्या के बाद उस लिस्ट में कई और लोगों के नाम लिखे होने कि वजह से नौजवानों में डर का माहौल बना हुआ है।

जिसके कारण गांव के नौजवान अपने गांव को छोड़कर दूसरे इलाके में जाने के लिए मजबूर हो गए है। गांववालों का आरोप है कि पुलिस बेवजह दलित समुदाय के लोगों को परेशान कर रही है। ऐसे में अब दलितों के पास दो ही विकल्प बच जाते है या तो हम दूसरे  लोगों की तरह गांव छो़ड़कर चले जाएं या फिर अपना धर्म बदल ले।
दलितों ने पुलिस के लापरवाह और बदले की भावना से तंग आकर प्रशासन को धमकी दी है कि आगामी अंबेडकर जयंती के दिन यानि 14 अप्रैल को पूरा का पूरा गांव सामूहिक रूप से अपना धर्म परिवर्तन कर लेगा। हालांकि ग्रामीणों ने यह नहीं बताया कि वह किस धर्म को अपनाने पर विचार कर रहे है।

वहीं दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन ने गांववालों के पलायन और धर्म परिवर्तन करने की किसी भी सूचना के होने से इंकार कर दिया है। पुलिस प्रशासन का कहना है कि ऐसा कोई भी मामला संज्ञान में नहीं आया है जिसमें पुलिस द्वारा किसी विशेष जाति समुदाय के साथ भेद-भाव पूर्ण या बदले की भावना से कार्रवाई की गई हो।

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