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ST/SC एक्‍ट : केंद्र सरकार ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देश को हो रहा है नुकसान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम 1989 पर अपने आदेश वापस लेने का आग्रह किया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि कोर्ट के इस फैसले से देश में दुर्भावना, क्रोध एवं असहजता का भाव पैदा हुआ है।

सरकार के अनुसार कोर्ट के फैसले से कानून कमजोर हुआ है और इसकी वजह से देश को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एससी एसटी एक्ट को लेकर एफिडेविट फाइल किया।केके वेणुगोपाल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एससी एसटी एक्ट को लेकर फाइल किए गए एफिडेविट में सरकार की तरफ से कहा गया है कि कोर्ट इस तरह से कानून में बदलाव नहीं कर सकता, ये अधिकार संसद के पास है।

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने कोर्ट फैसले कानून को कमजोर किया है। इसके कारण देश में हिंसा भी फैली, जिससे देश को काफी नुकसान हुआ।केंद्र सरकार ने इन परिप्रेक्ष्यों में कोर्ट से 20 मार्च के फैसले पर पुनर्विचार करने तथा अपने दिशानिर्देशों को वापस लेने का अनुरोध किया है। 

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार ने इस मामले में याचिका दायर करके शीर्ष अदालत से अपने गत 20 मार्च के आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है।
आपको बता दें कि बीती 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाया था। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि एससी एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न की जाए।

इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत मिले। पुलिस को सात दिन में जांच करनी चाहिए। सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। इस दौरान देश के अलग-अलग राज्यों में हुए हिंसा प्रदर्शन में 14 लोगों की मौत हो गई थी।

केंद्र सरकार ने इसी दिन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने इस पर फौरन सुनवाई से इनकार कर दिया था।कोर्ट ने हिंसा के अगले दिन पुनर्विचार याचिका लगभग एक घंटे तक चली सुनवाई में बेंच ने कहा कि कोर्ट के आदेश ने एससी एसटी एक्ट को कमजोर नहीं किया।कोर्ट ने फैसले पुनर्विचार याचिका पर 10 दिन में सुनवाई करने की बात कही।

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